माता पिता पुत्र उरगारी,
पुरुष मनोरथ निरखत नारी।
होई बिकल सब मनहि न रोकी,
जिमि रबि मनि द्रव रविहि बिलोकी।
ये चौपाई रामचरितमानस के अरण्य काण्ड से ली गई है जिसके माध्यम से तुलसीदास ने सम्पूर्ण नारी जाति का सम्मान किया है
आप भी इसे पढ़ कर अपना बिचार हमे अवश्य लिखेँ
ayu1501@yahoo.in
बुधवार, 18 नवंबर 2009
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स्वागत है इस बेहतरीन रचना के साथ
जवाब देंहटाएंकामना है कि आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी ब्लॉगिंग को समृद्ध करते रहें और नियमित रचते रहें।
जवाब देंहटाएंतुलसीदास ने यह भी रचा है:
कत बिधि स्रजी नारि जग माहीं
पराधीन सुख सपनेहुँ नाहीं।
तुलसी के समग्र मूल्यांकन के लिए उन्हें समग्रता के साथ पढ़ना होगा। विनय पत्रिका पर भी एक दृष्टि डाल लें।
___________________
कोई खास उद्देश्य न हो तो शब्द पुष्टिकरण हटा दें।
अच्छी रचना बधाई। ब्लॉग जगत में स्वागत।
जवाब देंहटाएंस्वागत है
जवाब देंहटाएं---- चुटकी----
जवाब देंहटाएंराहुल थके
प्रियंका ने
चलाई कार,
अब तो
यह भी है
टीवी लायक
समाचार।
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है अपने विचारों की अभिव्यक्ति के साथ साथ अन्य सभी के भी विचार जाने..!!!लिखते रहिये और पढ़ते रहिये....
जवाब देंहटाएंसही लिखा है
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
जवाब देंहटाएंकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी टिप्पणियां दें
कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना
और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये