मंगलवार, 24 नवंबर 2009

विश्वास

मेरा जनाजा निकला देखने सारा शहर आया
मगर वो न आये जिनके लिये मेरा जनाजा निकला

मुझे अपनो ने लूटा गैरो मे कहा दम था।

जैसे अनेको पँक्तियाँ है जो लोगो की जुबान पर कभी न कभी आ ही जाती हैँ।
जिसको सुनकर लोगो का दर्द सामने आ ही जाता है
सत्य है जब कोई अपना धोखा या बेवफाई करता है दिल को एक ऐसी पीड़ा पहुचती है जो कि असहनीय होती हैँ लेकिन किया भी क्या जा सकता है....

"दुनिया मे आये है तो जीना ही पड़ेगा
जीवन है अगर जहर तो पीना ही पड़ेगा"

जैसी फिल्मी पँक्तियाँ ही दिल के किसी कोने मे जीने की आस जगाती हैँ।

बुधवार, 18 नवंबर 2009

अपने तुलसी

माता पिता पुत्र उरगारी,
पुरुष मनोरथ निरखत नारी।
होई बिकल सब मनहि न रोकी,
जिमि रबि मनि द्रव रविहि बिलोकी।
ये चौपाई रामचरितमानस के अरण्य काण्ड से ली गई है जिसके माध्यम से तुलसीदास ने सम्पूर्ण नारी जाति का सम्मान किया है
आप भी इसे पढ़ कर अपना बिचार हमे अवश्य लिखेँ
ayu1501@yahoo.in

रविवार, 15 नवंबर 2009